जम्मू-कश्मीर में लश्कर के नेटवर्क को फिर से खड़ा करने की साजिश का पर्दाफाश
Hindustan
September 01, 2020
सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क को जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में फिर से सक्रिय करने की साजिश का पर्दाफाश करते हुए उसके तीन मददगारों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी। रियासी की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रश्मि वजीर ने यहां कहा कि ये तीनों “मददगार कार्यकर्ता” अपने पाकिस्तानी आका (लश्कर-ए-तैयबा) महोर के मोहम्मद कासिम के संपर्क में थे जिसने 2002 में पाक के कब्जे वाले कश्मीर में घुसपैठ की थी।
उन्होंने कहा कि पुलिस और सेना ने रियासी जिले के महोर इलाके में 'लश्कर में फिर से जान फूंकने' की एक बड़ी साजिश का खुलासा किया है और तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें एक सरकारी शिक्षक भी शामिल है। एसएसपी ने कहा कि विश्वसनीय सूत्रों से महोर पुलिस थाने में सूचना मिली थी कि इलाके के कुछ अज्ञात लोग देश के खिलाफ जंग छेड़ने और देश की संप्रभुता व अखंडता को बाधित करने के उद्देश्य से महोर इलाके में लश्कर ए तैयबा को फिर से खड़ा करना चाहते हैं और इसके लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन के आतंकवादियों से संपर्क में हैं।
Lashkar-e-Taiba's (LeT) major revival plan in Kashmir has been thwarted & 3 terrorists arrested. They were in contact with ISI handler Mohammed Kasim who exfiltrated 18 years ago. An FIR was registered in his matter & an SIT was formed: Reasi SSP Rashmi Wazir, Jammu & Kashmir pic.twitter.com/5fYoqyUca6— ANI (@ANI) August 31, 2020
उन्होंने कहा कि इस सूचना के आधार पर पांच अगस्त को एक मामला दर्ज कर जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया गया। जांच के दौरान सेना और खुफिया इकाई की मदद से और एसआईटी द्वारा आरोपियों से पूछताछ के बाद यह सामने आया कि सीमा पार से लश्कर के लिए काम कर रहा मोहम्मद कासिम इस मॉड्यूल का मुख्य षड्यंत्रकारी है।
उन्होंने कहा कि कासिम लश्कर-ए-तैयबा के मददगारों का एक नेटवर्क बनाना चाहता था जिनका इस्तेमाल महोर और आसपास के इलाकों से नए लड़कों को संगठन में भर्ती करने, साजोसामान मुहैया कराने और सीमा पार से आतंकियों को यहां विभिन्न रास्तों से सुरक्षित पहुंचाने के लिए किया जाना था। एसएसपी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए तीन लोगों की पहचान मुलाम हुसैन, अब्दुल अजीज और अश्फाक अहमद के तौर पर हुई है। उन्होंने बताया कि इनमें से एक सरकारी शिक्षक, एक दुकानदार और एक मजदूर है।
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